Lakhi banjara biography
Lakhi banjara biography
Lakhi banjara biography in telugu...
नौंवे गुरु तेगबहादुर के सम्मान में औरंगजेब की सेना की आंखों में झोंकी थी धूल, कहानी लक्खी शाह बंजारा की
नई दिल्ली: बंजारा शब्द सुनते ही स्वच्छंदता और आजादी का अनुभव होता है। मन में एक छवि भी खिंच जाती है। निश्चित पारंपरिक परिधान, खड़ी और रौबदार बोली, टेंट या अस्थायी झोपड़ियों की बस्ती। लेकिन, बंजारा शब्द किसी बेफिक्री को ध्यान में रखते हुए नहीं बना। यह बना है वणजारा शब्द से। वणजारा यानी व्यापारी। बाबा लक्खी शाह बंजारा भी एक व्यापारी ही थे। बहुत लोग उन्हें लाखा बंजारा कहते हैं। व्यापारी होने के अलावा भी वह बहुत कुछ थे- सिविल कॉन्ट्रैक्टर, ट्रांसपोर्टर और समाजसेवक। लाखों लोगों को अकेले चलाने वाले। उनके परिवार ने दिल्ली में चार गांव बसाए थे। इनमें से एक आज देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान भी है यानी रायसीना। बाकी तीन गांव थे- नरेला, बारहखंभा और मालचा।सबसे बड़े व्यापारी
लाखा बंजारा का जन्म हुआ था चार जुलाई 1580 को। 18वीं सदी के मशहूर शायर नजीर अकबराबादी की एक रचना है, ‘बंजारानामा’। इसमें उन्होंने लक्खी शाह के बारे में लिखा है। कहा जाता है कि लाखा उस वक्त मध्य एशिया के सबसे बड़े व्यापार
लाखा बंजारा का जन्म हुआ था चार जुलाई 1580 को। 18वीं सदी के मशहूर शायर नजीर अकबराबादी की एक रचना है, ‘बंजारानामा’। इसमें उन्होंने लक्खी शाह के बारे में लिखा है। कहा जाता है कि लाखा उस वक्त मध्य एशिया के सबसे बड़े व्यापार